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ज़िंदगी


ज़िंदगी....
ज़िंदगी एक सफर है।
रूप जिसका ,
बदलता हर पहर है।
सुख - दुख दोनों ही,
ज़िंदगी का अहम हिस्सा है।
बच्चों को सुनाया जाए,
वो किस्सा है।
डगर इसकी,
न किसी के लिए आसान है।
पार करले जो,
शख्स वो महान है।
ज़िंदगी की राह में,
कई रोड़े है।
किसी के नसीब में ज़्यादा,
तो किसी में थोड़े है।
ज़िंदगी एक जंग है।
कोई खुलकर जीता,
तो कोई कहता तंग है।
कहते है ज़िंदगी,
मुस्कुराने का नाम है।
चुकाना पड़ता ,
हर किसी को इसका दाम है।
कोई कहता ज़िंदगी,
ढ़लती शाम है।
कोई भरता हर दिन,
नई उड़ान है।
ज़िंदगी बहती धार है।
गुज़रा समय,
न लौटकर आएगा।
कहती यही हर बार है।।

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